रक्षक (भाग : 21)
रक्षक भाग : 21
महाभूत हैरान होकर नीचे देखता है। उसका हाथ रक्षक ने अपने एक ही हाथ से रोक लिया था। महाभूत की हैरानी उस पल और बढ़ गयी जब उसे ज्ञात हुआ कि उसके उसी हाथ में मृत्यु पत्थर भी है। रक्षक का पूरा शरीर ज्वालामुखी बन गया था। उसके सम्पूर्ण शरीर से नीली लाल अग्नि की लहर निकल रही थी। रक्षक ने अपने दूसरे हाथ का मुक्का बांध करके महाभूत को जोर से मारा, महाभूत हवा में उड़ता हुआ वहां से बहुत दूर जा गिरा। रक्षक भी उड़कर उसके पास पहुंचा।
"अपनी शक्तियों पर झूठे दम्भ भरने का नतीजा देख लिया तुमने महाभूत।" - रक्षक लात से उसके थोबड़े पर जोरदार किक मारते हुए बोला।
"तुम यह युद्ध सदियों तक लड़ सकते हो रक्षक! क्योंकि तुम कभी मुझे मार नही सकते पर एक बात तो माननी पड़ेगी तुम कमाल के योद्धा हो आजतक मुझे कभी किसी ने इस हाल तक नही पहुँचाया।" - महाभूत जमीन पर जोर लगाकर उठते हुए बोला। उसके शरीर की काली आग और बढ़ने लगी थी।
"सैकड़ो सदियों बाद मुझे कोई टक्कर का योद्धा मिला, पर समस्या यह है कि मैं मर नही सकता और तुम मर सकते हो।" महाभूत अपने हाथों से काली ऊर्जा का एक गोला बनाकर रक्षक की ओर फेकता हुआ बोला।
रक्षक प्रकाश की गति से उस ऊर्जा गोले के ऊपर दौड़ते हुए उसे छोटा किये जा रहा था, महाभूत यह देखकर बहुत हैरान हो रहा था कि एक उजाले का रक्षक, काली ऊर्जा को कैसे अवशोषित कर रहा है, उसकी हैरानी प्रतिपल बढ़ती ही जा रही थी। रक्षक अपने दोनों पैर जोड़कर उसके मुंह पर जोरदार किक मारता है, जिससे महाभूत फिर गिर जाता है।
"ऐसे तो यह युद्ध कभी खत्म ही नही होगा।" - अर्थ उनको ध्यान से देखते हुए बोला।
"हाँ, लगता तो ऐसा ही है, उसके पास मृत्यु पत्थर है, पर रक्षक भी किसी से कम नही है।" - जैक मुस्कुराते हुए बोला।
"पर यह मृत्यु पत्थर है क्या?" - एक सैनिक बोला।
"इसके बारे में जानकारी किसी को नही है, बस इतना पता है कि यह भी उजाले के केंद्र के साथ बना हुआ है, इसकी शक्तियां असीमित हैं और यह अपने धारण करने वाले को मृत्यु से दूर रखता है। जब तक वह खुद न अपनी मृत्यु की इच्छा करें।" - यूनिक ने उन सबको बताते हुए कहा।
"और महाभूत खुद की मृत्यु की कामना करेगा ऐसा सोचना भी मूर्खता है।" - जॉर्ज बोला।
"हमे रक्षक पर विश्वास रखना होगा, वह जरूर कोई न कोई युक्ति ढूंढ ही लेगा।" - जीवन, जय को मुस्कुराकर देखते हुए बोलता है।
"सच में! मेरे कान तो नही बज रहे या लगातार इतनी लड़ाई ने थका दिया, जीवन के मुँह से मेरी बात निकल रही है, पर यह सुनने में अच्छा लग रहा है।" - जय उठकर सबकी तरफ देखते हुए बोला।
"चल बैठ जा, वो तो ऐसे ही मन किया तो बोल दिया।" - जीवन, जय की बाँह पकड़कर बिठाते हुए बोला। जीवन ने सबको बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था कर दी थी और सबके जख्मो पर मरहम पट्टी भी कर चुका था।
महाभूत और रक्षक, कोई किसी से कम नही
एक सदियों पहले का ब्रह्मांड का सबसे जहरीला, अमर योद्धा तो दूसरा उजाले का रक्षक! जिसे अपनी सभी शक्तियां ज्ञात भी नही है।
"तुम अब भी बच्चे हो रक्षक! और मेरे पास हज़ारों सालो का अनुभव है।" - महाभूत रक्षक के हाथ को पकड़ते हुए बोला।
"तुम्हारे अनुभव और अमरता का मैं क्या करूँ महाभूत! तुम्हे तो खुद का बखान करने से फुर्सत नही।" - रक्षक अपने तापमान को बढ़ाते हुए बोला।
"तुम्हारी कोई भी चाल महाभूत पर असर नही करेगी बच्चे, अच्छा यही होगा कि तुम हार मान लो।" - रक्षक पर उर्जावार करते हुए महाभूत बोला।
"तुम हमेशा खुद को विजेता साबित क्यों करते रहते हो महाभूत? खुद के जीतने में शक हो रहा है क्या इस बार!" - रक्षक उसके हमले से बचते हुए दोनों हाथों को सर के ऊपर विशिष्ट मुद्रा में जोड़ता है।
महाभूत के चारो तरफ की धरती फटकर उसके जकड़ने लगती है, रक्षक अपने हाथों को सीने पर ला बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ से मुक्का बांधकर जोर से सटाता
है, अगले ही पल आकाश से उत्पन्न बिजलियां, बेड़िया बनकर महाभूत के गर्दन को कस लेती हैं, रक्षक का शरीर लावे जैसा दहक रहा था, वह अपनी पूरी गति से दौड़ता हुआ महाभूत के आर-पार हो जाता है। रक्षक के।ऐसा लगातार करने से महाभूत के शरीर में कई बड़े छेद हो जाते हैं, पर रक्षक को महाभूत के शरीर में मृत्यु पत्थर नही मिलता। थोड़ी ही देर में महाभूत के शरीर का हर जख्म भर जाता है, वो जोर जोर से हँसने लगता है।
"तुम अब तक मेरी शक्तियों को नही जान पाए बच्चे" - महाभूत अपने हाथ से काली ऊर्जा द्वारा एक भाला बनाता है जो रक्षक के पीछे लग जाती है।
"तेरी शक्तियों को जानकर मैं क्या करूँ, अभी तो मैं खुद की शक्तियों को ही नही जानता।" कहते हुए रक्षक भाले से बचने के लिए झुकता है पर भाला आगे जाने के बाद फिर उसी की दिशा में लौट आता है, रक्षक बहुत तीव्र गति से भागता है पर वो भाला उसका पीछा करता ही रहता है, अचानक रक्षक एक जगह रुक जाता है, महाभूत को कुछ समझ नही आता, भाला रक्षक के आर पार चला जाता है।
"हाहाहा ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली योद्धा से लड़ने का यही हश्र होता है बालक!" - महाभूत, रक्षक को धरती पर पड़ा हुआ देखकर बोलता है।
"मैंने तुमसे कई बार कहा है ज्योतिषी मत बना करो या ये सब छोड़ के ज्योतिषी ही बन जाओ,।पर धंधा डूब जाएगा बड़े खराब हो तुम ज्योतिष में, कोई अनुमान सही से लगाते ही नही।" रक्षक हवा में उठ चुका था। वह अपने हाथों से वैसा ही भाला बनाता है और उससे महाभूत पर वार करता है।
"यह असम्भव है! उजाले के रक्षक के पास काली शक्तियां?" - महाभूत की आँखे हैरानी से चौड़ी हो गयी थी, केवल उसकी ही नही फोर जे, अर्थ और बाकी सैनिको की आँखे यह देखकर चौड़ी हो गयी, किसी को समझ नही आ रहा था ये कैसे हुआ?
महाभूत उस भाले से बचने का प्रयास करता है लेकिन वह उसे लग ही जाता है, पर अब हैरान होने की बारी रक्षक की थी। उसका असर हुआ ही नही, जो भाला किसी ग्रह को भी समाप्त कर सकता था वह महाभूत के शरीर में वापस समा गया।
'मुझे इसके पूरे शरीर मे ढूंढने पर भी वो पत्थर नही मिला, जिससे इसे अमरता की शक्ति मिलती है, और जब वो पत्थर इससे अलग नही होता तब तक यह मर नही सकता और इससे इसी तरह लड़ना व्यर्थ का कार्य होगा। इसे किसी न किसी तरह शीघ्र ही समाप्त करना होगा।' - रक्षक अपने मन में विचार कर रहा था।
"तुम्हारे ये व्यर्थ के प्रयास महाभूत का कुछ नही कर सकते बच्चे!" - महाभूत अपने दोनों हाथों से गोला बनाकर फेंका, जिसमें संसार का सबसे शुध्द जहर था, रक्षक उससे बचते हुए पलटवार करता है।
"तुम्हें क्या लगता है कौन जीतेगा!" - जैक, अर्थ से बोला।
"कुछ समझ नही आ रहा, हम तो बस रक्षक के जीतने की प्रार्थना कर सकते हैं।" - अर्थ बोला।
"तुम्हे कुछ कहना है यूनिक?" - जैक ने यूनिक की तरफ मुड़कर पूछा।
"मेरी गणनाओ के अनुसार इनका यह युद्ध जेन्डोर के समाप्त होने तक चल सकता है। ग्रह के क्रोड में विचित्र हलचल हुई है, प्लेटें सरक रही हैं ऐसा हुआ तो यह ग्रह ही समाप्त हो जाएगा फिर उजाले की रक्षा के लिए युध्द का क्या फायदा!" - यूनिक भारी स्वर में बोलता है।
"लेकिन इनमें कोई किसी से कम नही है! अगर हम उस तमसा से लड़े तो कुछ पल से ज्यादा नही ठहरेंगे।" - जॉर्ज बोला " अरे ये तमसा कहा गयी।"
"कब से नही दिख रही है, शायद कोई और ताकतवर महाबली लाने गयी हो।" - कहते हुए जीवन ने मुँह बिचकाया।
"मुझे खुद समझ नही आ रहा इसकी कमज़ोरी क्या है, वो मृत्युपत्थर उसके शरीर मे ही है पर कही दिखा नही, रक्षक ने हर प्रयास कर लिया जिससे उसे हरा सके।" - जय हल्के चिंतित स्वर में बोला।
"और रक्षक के पास काली शक्तियां आयी कहां से?" - अर्थ ने जय से पूछा।
"ये शायद वो खुद नही जानता, हम कैसे जानेंगे?" - जय बोला।
दोनो का घमासान युद्ध चल रहा था। कोई किसी से कम नही, हर वार का जवाब उससे भीषण वार से मिलता।
"जल्दी करो रक्षक! वरना इस ग्रह की क्रोड टूट रही है, फिर जीत या हार का कोई महत्व नही रह जायेगा।"
यूनिक ने जोर जोर से चिल्लाकर रक्षक को इस बात की जानकारी दी। रक्षक यह सुनकर थोड़ा परेशान हो गया, और उसका ध्यान महाभूत से हट गया, महाभूत ने इसका फायदा उठाया। जोरदार उर्जावार से रक्षक दूर जा गिरा।
"मृत्यु पत्थर उसके शरीर का एक अंग बन चुका है पुत्र! वो उसके रक्त की एक बूंद से भी प्रकट हो सकता है और वह इतना जल्दी ठीक हो जाता है कि तुम उसके शरीर से रक्त की अंतिम बून्द तक निकाल ही नही सकते, और अगर निकाल भी दिए तो कोई फायदा नही होगा, पत्थर वापस उसी के पास चला जायेगा।" - रक्षक के मस्तिष्क में एक आवाज उभरी।
"तो मैं क्या करूँ माँ!" - रक्षक ने उस आवाज से पूछा।
"मेरे बच्चे! मैं तुझसे इस हाल में तो नही मिलना चाहती थी पर..
"हाँ सुनो! तुम उसे मिलियन ऑफ गैलेक्सी में ले जाओ, जहां अगर तुम्हारी किस्मत अच्छी रही तो हज़ार सूर्य एक कतार में मिल जाएंगे, इससे शायद तुम्हे भी क्षति पहुंचे पर सूर्य के उच्च ताप से उसके अंदर का रक्त सूखेगा और पत्थर ठोस बनकर उसके शरीर को फाड़ कर निकल जायेगा और एक बार खुद से निकला तो वो वापस उसके शरीर मे नही जाएगा, तब वो शायद मारा जा सके।" - उस आवाज ने कहा।
"धन्यवाद माँ!" - रक्षक बोला।
"माँ…….!!" - रक्षक जोर से चीखा ,महाभूत उसपर लगातार घुसे बरसाए जा रहा था, रक्षक का चेहरा बुरी तरह लहूलुहान हो गया था, रक्षक अपने दोनों हाथों से महाभूत को उठाया, महाभूत उसपर हमले करता रहा पर कोई फर्क नही।
प्रकाश की गति को भी मात देते हुए वो करोड़ो प्रकाशवर्ष दूर मिलियन ऑफ गैलेक्सी में पहुँचता है, जहां मिलियन्स गैलेक्सीज़ का मिलन बिंदु था, वहां हज़ार सूर्य एक माले में बंधे हुए लगते थे। रक्षक पूरी गति से महाभूत को उसमें फेंक दिया, इतनी तेज गति और भीषण ऊष्मा के कारण रक्षक को खुद की हालत खराब होती महसूस हुई, पर उसके मन मे खुशी थी कि उसने महाभूत को रोक लिया, काफी समय तक महाभूत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही हुई, वह तीव्र गति से एक के बाद दूसरे सूर्य में प्रवेश करने लगा, हर सूर्य अपने गुरुत्व क्षेत्र में आते ही उसको खींच लेता और उसकी गति उस सूर्य के गुरुत्व केंद्र से बाहर निकलने में मदद करती, अब रक्षक की आँखे भी बंद होने लगी थी।
वहां एक नीला सूर्य भी चमक रहा था।
क्रमशः……………..
Hayati ansari
29-Nov-2021 09:58 AM
واہ
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Niraj Pandey
08-Oct-2021 04:21 PM
वाह हर भाग रोमांच बढ़ाते ही जा रहा है👌
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मनोज कुमार "MJ"
11-Oct-2021 07:02 AM
Thank you
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Seema Priyadarshini sahay
05-Oct-2021 12:20 PM
बहुत सुंदर
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मनोज कुमार "MJ"
11-Oct-2021 07:02 AM
Thank you
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